Add To collaction

राष्ट्र कवियत्री ःसुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाएँ ःसीधेसाधे चित्र

रुपा


जेल में वे चीजें मैं कैसे उसी समय मंगाकर दे सकती थी? कम-से-कम मेरे साथ तो जेल में यही होता था कि एक चीज पंद्रह दिन पहले कहने पर मिलती थी । ऐसी बातें प्राय: हो जाया करती थीं और इन्हीं कारणों से मैं बहुत दुखी रहा करती थी । उस दिन भी ऐसा ही कोई कारण था और मैं सो न सकी थी । रूपा मेरे पास आई बोली, हाथ-पैर दबा दूँ बहन जी? आपको नींद नहीं आती ।
मेरे बहुत रोकने पर भी रुपा मेरे पैर दबाने लगी । मैंने उसका हाथ पकड़कर उसे अपने पास बिठा लिया और कहा, रूपा आज तुम मुझे बताओ कि तुम बच्ची को लेकर कुएँ में क्यों कूदी थीं?
वह बैठ गई । उसके चेहरे का विषाद कुछ गहरा हो गया, बोली, बहन जी ! मेरी गोपा इसी तरह थी, जैसी आपकी ममता है । आपने बम्बई जाकर सैंकडों रुपए खर्च करके ममता का मुंह ठीक करवा लिया है, पर मेरे पास रुपया कहां से आता । गोपा का बाप कहता था, खूब रुपया कमाकर अपनी गोपा को बम्बई ले जाकर आपरेश्न करा देंगे, तब सब ठीक हो जाएगा । और इसलिए खूब रुपया कमाने के लिए वह लड़ाई पर चला गया । तबसे उसकी कोई खबर नहीं मिली । इधर मैं अकेली और जरा-सी गोपा, जहां मेहनत-मजूरी को जाती वहीं बच्चे और कभी बड़े-बड़े लोग तक गोपा को साफ न बोलने पर चिढ़ाया करते । लड़की चिढ़ती, दिन भर रोती, मैं उसका मुंह पकड़ती । बिना मेहनत-मजूरी के काम न चलता और जहाँ जाती वहीं यह बात होती । जिस दिन मै कुएं में कूदी थी, उसके एक दिन पहले मैं एक जगह मजूरी के लिए गई थी । ऊपर मैं कुछ काम कर रही थी और वहीं जीने पर गोपा एक लड़की लिए बैठी थी । नीचे मुहल्ले भर के दस-बारह लडके-लडकियाँ.. उसे चिढ़ा रहे थे । वह कभी इसे, कभी उसे मारने दौडती पर वे थे दस-बारह और गोपा अकेली । मैंने देखा । मुझे बड़ा क्रोध आ गया । गोपा को मैंने गोद में उठा लिया और पास ही जो लड़का उसकी चोटी खींच रहा था, उसे हलके से पीठ पर मार दिया । बस फिर इसी बात को लेकर उन लोगों से कहा-सुनी हो गई । अब मुझे काम भी न मिलता । पैसों की तंगी होने लगी । इधर बच्चे गोपा को और ज्यादा चिढ़ाकर तंग करने लगे । सोचा अभी छोटी है, समझती कम है, जब बड़ी होगी तब गोपा को कितना बुरा लगेगा, मेरी गोपा दुखी हो जाया करेगी और कहीं मैं मर गई तो...फिर बहन जी। मेरे मरने के बाद गोपा की जो दुर्दशा होगी उसे सोचकर मैं पागल हो गई और उस दुर्दशा तक गोपा न पहुंच सके, इसलिए...
आगे वह कुछ न कह सकी । पास ही पड़ी हुई ममता को मैंने और पास खींचकर छाती से लगा लिया । मेरी छाया मुझसे बात कर रही थी ।

   1
0 Comments